HMPV In Kids: कोविड के दौरान पैदा हुए बच्चों में ये नया खतरा? HMPV फैला तो एक्सपर्ट जता रहे आशंका

HMPV In Kids: चीन और भारत में बच्चों में मिले HMPV के मामलों को ध्यान में रखते हुए भारतीय सशस्त्र बलों के पूर्व फील्ड पैंडेमिक एक्सपर्ट डॉ. अमिताव बनर्जी ने कहा, ‘चीन में जो स्थिति इस समय है वह इम्युनिटी डेब्ट के कारण है.’ अब सवाल उठता है कि आखिर यह इम्युनिटी डेब्ट क्या बला है? चलिए जानते हैं. 

कोविड-19 का एक ऐसा नाम है, जिसे सुनकर आज भी लोगों के दिलों में खौफ घर कर जाता है. भारत समेत दुनिया भर में लाखों लोगों ने इस खौफनाक वायरस के चलते अपनी जान गंवाई थी. यह बात बेशक लगभग 5 साल पुरानी हो गई है, लेकिन अपनों को खोने का दर्द लोगों के दिलों में आज भी जिंदा है. कोविड में अपनों को खोने के दर्द से लोग अभी पूरी तरह से उबर भी नहीं पाए थे कि दुनिया की दहलीज पर एक और वायरस ने चिंता बढ़ा दी है, जिसका नाम ह्यूमन मेटा-न्यूमोवायरस (HMPV) है.

बच्चों में देखने को मिल रहे ज्यादातर मामले

इसके लक्षण सामान्य जुकाम और फ्लू जैसे होते हैं. यह मनु्ष्यों के फेफड़ों और श्वास नली में इंफेक्शन पैदा करता है, जिसके कारण सामान्य सर्दी या फ्लू जैसा होता है. पहले से ऐसी बीमारियों या एलर्जी से ग्रस्त लोगों में इस वायरस का संक्रमण होना बेहद आम बात है. ये बात किसी से छिपी नहीं है कि छोटे बच्चे सर्दी-जुकाम जैसी सामान्य बीमारियों की चपेट में जल्दी आ जाते हैं. ऐसे में बच्चों में इस वायरस का फैलना बहुत नॉर्मल है. भारत में ही नहीं, चीन में भी HMPV के ज्यादातर मामले बच्चों में देखे गए हैं.

चीन में बच्चों में मिले HMPV के मामलों को ध्यान में रखते हुए भारतीय सशस्त्र बलों के पूर्व फील्ड पैंडेमिक एक्सपर्ट डॉ. अमिताव बनर्जी ने कहा, ‘चीन में जो स्थिति इस समय है, वह इम्युनिटी डेब्ट के कारण है. यानी महामारी के दौरान कई बच्चे अपने शुरुआती महीनों में कई तरह के वायरस के संपर्क में नहीं आ पाए, और अब वे इनके खिलाफ इम्युनिटी के मामले में काफी संवेदनशील हैं.’

क्या सिर्फ ‘इम्युनिटी डेब्ट’ है HMPV बढ़ने का कारण?

‘इम्युनिटी डेब्ट’ HMPV के बढ़ने का एक प्रमुख कारण हो सकता है, लेकिन यह इकलौता कारण नहीं हो सकता है. पुणे के बीजे मेडिकल कॉलेज में माइक्रोबायोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. राजेश कार्यकार्ते ने बताया कि HMPV के बढ़ने में मौसम का भी बहुत बड़ा रोल है. वह कहते हैं, “हमारे नैसल पैसेज में पैथोजेन के खिलाफ सुरक्षात्मक बैरियर के रूप में काम करने वाला बलगम ठंड और बर्फीली हवाओं में कम प्रभावी हो जाता है. ऐसे में वायरस के लिए नैसल सेल्स के सीधा कॉनटैक्ट में आ जाता है और आसानी से नाक के जरिए आपको संक्रमित कर सकता है.”

बच्चों के साथ-साथ इन लोगों के लिए भी है जोखिम

रिपोर्ट के अनुसार, 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे, शिशु और वृद्धों में इस वायरस से संक्रमित होने का खतरा ज्यादा है. इसके साथ ही कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग, अस्थमा या सीओपीडी जैसी श्वसन समस्याओं वाले लोगों को भी HMPV का खतरा है. अगर कोई महिला प्रेग्नेंट है तो वह भी इस वायरस की चपेट में आ सकती है. ऐसे में बाहर निकलने से पहले आप  पूरी सावधानी बरतें.

वायरस से कैसे करें अपनी सुरक्षा?

रिपोर्ट्स के अनुसार HMPV से सुरक्षित रहने के लिए चीन में स्वास्थ्य अधिकारियों ने हाथ धोने, मास्क पहनने और समय पर जांच कराने के लिए कहा है. ऐसे में आप अपने हाथों को साबुन और पानी से कम से कम 20 सेकंड तक धोएं. अल्कोहल बेस्ड हैंड सैनिटाइजर का उपयोग करें. जिन लोगों को खांसी-जुकाम हो तो उनसे दूर रहने की कोशिश करें.

काफी पुराना है HMPV का इतिहास

अचानक HMPV के मामलों में आई बढ़त के कारण लोगों का ध्यान इसकी ओर आकर्षित हो गया है और सभी इसे नया वायरस समझ रहे हैं, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि यह नया नहीं है. इस वायरस की खोज डच साइंटिस्ट्स द्वारा साल 2000 में की गई थी. जब इस वायरस का पहला मामला पाया गया तो इसके जीनोम का अनुक्रमण 2001 में किया गया था. बाद में, इसके सीरोलॉजिकल अध्ययनों से पता चला कि एचएमपीवी 1958 से ही नीदरलैंड में मौजूद था.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *