AI डेटा सेंटर गोल्ड रश: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बूम से हजारों नए निवेशक आकर्षित

इटली के दक्षिणी हिस्से में स्थित पुग्लिया क्षेत्र, जो आज जैतून के पेड़ों, सफेद चट्टानों और नीले भूमध्यसागरीय तटों के लिए जाना जाता है, वहां लोरेंजो एवेलो इन दिनों आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर बड़े सपने देख रहे हैं।

एवेलो की कम जानी-पहचानी कंपनी Adriatic DC इस इलाके में तीन विशाल डेटा सेंटर स्थापित करने की योजना बना रही है। इनमें से एक ऐसा डेटा सेंटर कैंपस होगा, जो लगभग 1.5 गीगावॉट बिजली को AI कंप्यूटिंग पावर में बदलने में सक्षम होगा। यह क्षमता आज मौजूद अधिकतर बड़े AI डेटा सेंटर्स से कहीं ज्यादा होगी। तुलना करें तो सिर्फ 1 गीगावॉट बिजली से एक समय में करीब 7.5 लाख अमेरिकी घरों को बिजली मिल सकती है। एवेलो का लक्ष्य इस क्षेत्र को “भूमध्यसागरीय AI हब” के रूप में विकसित करना है।

दिलचस्प बात यह है कि लोरेंजो एवेलो ने इससे पहले कभी कोई डेटा सेंटर नहीं बनाया है। उनका पिछला अनुभव नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं से जुड़ा रहा है। आज AI इंफ्रास्ट्रक्चर की बढ़ती मांग ने ऐसे हजारों नए खिलाड़ियों को आकर्षित किया है, जिनके पास फिलहाल बहुत कम या लगभग कोई कंप्यूटिंग क्षमता नहीं है, लेकिन वे इस AI गोल्ड रश में अपनी जगह बनाना चाहते हैं।

अगर ट्रिलियन-डॉलर के इस डेटा सेंटर निर्माण पाइपलाइन की सभी परियोजनाएं पूरी हो जाती हैं, तो हालात काफी चौंकाने वाले होंगे। एक मशहूर टीवी शो ‘शार्क टैंक’ का होस्ट कनाडा के तेल-गैस समृद्ध अल्बर्टा प्रांत में एक विशाल कंप्यूटिंग साम्राज्य का मालिक बन सकता है, वहीं केवल पांच साल पुरानी एक बिटकॉइन माइनिंग कंपनी 2027 तक अमेरिका के सबसे बड़े डेटा सेंटर्स में से एक का संचालन कर सकती है। इसी बीच, एवेलो की नई-नवेली कंपनी यूरोप की सबसे बड़ी कंप्यूटिंग ऑपरेशन संभालने की ओर बढ़ सकती है।

दुनिया भर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तेज़ी से बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए जिन विशाल डेटा सेंटर परिसरों का निर्माण हो रहा है, उनके पीछे अब नए चेहरे सामने आ रहे हैं। यह बदलाव दर्शाता है कि डेटा सेंटर सेक्टर में अब सिर्फ बड़ी टेक कंपनियों का दबदबा नहीं रहा। जैसे-जैसे कम अनुभव वाली नई कंपनियाँ इस क्षेत्र में प्रवेश कर रही हैं, वैश्विक बुनियादी ढांचे के विस्तार से जुड़े जोखिम भी पहले से कहीं अधिक बढ़ते जा रहे हैं।

डेटा सेंटर कारोबार में विविधता बढ़ने का एक सकारात्मक पहलू यह है कि जोखिम किसी एक उद्योग पर सीमित नहीं रहता। लेकिन दूसरी ओर, जब अलग-अलग क्षेत्रों की इतनी सारी कंपनियाँ इस दौड़ में शामिल हो जाती हैं, तो यदि एआई से जुड़ा कारोबारी मॉडल कमजोर पड़ता है, तो उसका असर पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था में फैल सकता है। इसका प्रभाव लगभग हर व्यापारिक क्षेत्र में महसूस किया जा सकता है, खासकर शेयर और कर्ज़ बाजारों में।

पिछले कई महीनों से निजी और सार्वजनिक दोनों ही क्षेत्रों के निवेशक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में भारी मात्रा में पूंजी झोंक रहे हैं। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, केवल अमेरिका में ही इस वर्ष अब तक डेटा सेंटर से जुड़े करीब 178.5 अरब डॉलर के कर्ज़ सौदे किए जा चुके हैं। ऑरेकल, मेटा और अल्फाबेट जैसी बड़ी टेक कंपनियों की भूमिका के चलते 2025 में वैश्विक बॉन्ड जारीकरण का आंकड़ा 6.57 ट्रिलियन डॉलर से भी आगे निकल गया है। इस विशाल निर्माण प्रक्रिया में लगने वाली पूंजी इतनी अधिक है कि जेपी मॉर्गन चेज़ एंड कंपनी का अनुमान है कि इसे पूरा करने के लिए लगभग सभी प्रमुख ऋण बाजारों का सहारा लेना पड़ेगा।

डेटा सेंटर डेवलपर्स का तेजी से बढ़ता क्षेत्र टेक इंडस्ट्री की उस तीव्र मांग को पूरा करने में जुटा है, जिसमें अधिक शक्तिशाली कंप्यूटिंग की जरूरत है ताकि बेहतर और बड़े पैमाने पर अपनाई जाने वाली एआई प्रणालियाँ विकसित की जा सकें। इस सेक्टर के बड़े नाम, जैसे OpenAI के सैम ऑल्टमैन और Nvidia के सीईओ जेन्सेन हुआंग, आने वाले वर्षों में वैश्विक एआई इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार के लिए खरबों डॉलर के निवेश की उम्मीद कर रहे हैं। उनका मानना है कि यह तकनीक पूरी अर्थव्यवस्था की दिशा बदल सकती है।

हालांकि, वॉल स्ट्रीट के अनुभवी निवेशक और विपरीत सोच रखने वाले खिलाड़ी, जैसे माइकल बरी, पहले ही एआई बबल को लेकर चेतावनी देने लगे हैं। हालिया एआई सौदों की आपसी निर्भरता पर सवाल उठ रहे हैं, जहाँ Nvidia, Microsoft जैसी कंपनियाँ उन्हीं संस्थानों में निवेश कर रही हैं जो बाद में उनके उत्पादों के ग्राहक बनते हैं। इससे यह संदेह गहराता जा रहा है कि एआई उत्पादों की वास्तविक मांग कितनी मजबूत है।

डेटा सेंटर्स पर एक दशक से अधिक समय तक नजर रखने वाले और Platformonomics ब्लॉग से जुड़े पूर्व Microsoft मैनेजर चार्ल्स फिट्ज़गेराल्ड का कहना है कि फिलहाल जिन कई परियोजनाओं पर काम चल रहा है, वे शायद कभी पूरी ही न हो पाएं।

उनके अनुसार, “ग्राहकों की संख्या उतनी अधिक नहीं है,” और उन्होंने यह भी जोड़ा कि “अत्याधुनिक और बड़े पैमाने के डेटा सेंटर बनाने व संचालित करने के लिए आदर्श टीम में निजी इक्विटी फर्म या टीवी से जुड़े लोग शायद शामिल नहीं होते।”

आज दुनिया में AI इंफ्रास्ट्रक्चर की मांग उसकी उपलब्धता से कहीं अधिक है। भले ही AI बबल की चर्चा होती रहे, लेकिन कंप्यूटिंग क्षमता की मौजूदा कमी बड़े कॉर्पोरेट अधिकारियों के लिए एक गंभीर चिंता बन चुकी है। ब्लूमबर्ग इंटेलिजेंस के वैश्विक सर्वे में 600 से अधिक शीर्ष अधिकारियों ने AI इंफ्रास्ट्रक्चर तक आसान पहुंच को अपने उद्योग की सबसे बड़ी तीन चुनौतियों में गिना है। हालांकि, ओकट्री कैपिटल मैनेजमेंट के सह-संस्थापक हॉवर्ड मार्क्स का मानना है कि लंबे समय में जरूरत से ज्यादा निवेश (ओवरबिल्ड) का खतरा भी उतना ही बड़ा है। कई टेक कंपनियां अपने लीज़ समझौतों में लचीलापन रखती हैं, जिससे भविष्य में उनके पीछे हटने की स्थिति में साइट मालिकों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

इसी बीच, एवेलो की इटली के पुग्लिया क्षेत्र में प्रस्तावित परियोजना की लागत लगभग 50 अरब यूरो (करीब 59 अरब डॉलर) आंकी गई है। इस परियोजना के लिए फंडिंग का बड़ा हिस्सा निजी पूंजी से जुटाने की योजना है। एवेलो ने बताया कि वह संभावित निवेशकों से बातचीत कर रहा है, हालांकि उन्होंने उनके नाम उजागर नहीं किए। कंपनी का दावा है कि उसने परियोजना के लिए आवश्यक जमीन और बिजली आपूर्ति से जुड़े सभी जरूरी समझौते पहले ही सुनिश्चित कर लिए हैं, जिससे इन AI-सक्षम केंद्रों का निर्माण और संचालन संभव हो सकेगा।

OpenAI, Oracle और SoftBank ग्रुप द्वारा शुरू की गई स्टारगेट डेटा सेंटर पहल से प्रेरित होकर वैश्विक स्तर पर एआई इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर बड़े निवेश की होड़ तेज़ हो गई है। डोनाल्ड ट्रंप के व्हाइट हाउस लौटने के बाद घोषित इस पहल के तहत कंपनियों ने अमेरिका के कम आबादी वाले ग्रामीण इलाकों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए विशाल डेटा सेंटर्स स्थापित करने हेतु लगभग 500 अरब डॉलर के निवेश का वादा किया है, हालांकि Oracle के शेयरों में हाल के महीनों में गिरावट ने निवेशकों की चिंताओं को भी उजागर किया है। इसी दिशा में एवेलो की टीम इटली के पुगलिया क्षेत्र के पास एक कम जनसंख्या वाले इलाके में “डेटा सेंटर वैली” विकसित कर रही है, जहां समुद्र के नीचे बिछी केबल के ज़रिये यूरोप, एशिया और मध्य पूर्व में संचालित एआई सिस्टम्स को तकनीकी समर्थन देने की योजना है। एवेलो का मानना है कि एआई की वास्तविक क्षमता और भविष्य की मांग को लेकर अभी व्यापक समझ विकसित नहीं हुई है, लेकिन जिस तेज़ी से अमेरिका, चीन और सऊदी अरब जैसे देश और बड़े संस्थागत निवेशक इस तकनीक में भारी निवेश कर रहे हैं, उससे साफ है कि वे इसके दूरगामी प्रभावों और आने वाले बड़े बदलावों को भली-भांति समझ चुके हैं।

कनाडा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को लेकर तेजी से उत्साह बढ़ रहा है। प्रसिद्ध निवेशक केविन ओ’लेरी उत्तर-पश्चिमी अल्बर्टा में दुनिया के सबसे बड़े AI डेटा सेंटर इंडस्ट्रियल पार्क की योजना पर काम कर रहे हैं। यह मेगा प्रोजेक्ट प्राकृतिक गैस और भू-तापीय ऊर्जा जैसे सस्ते और भरोसेमंद ऊर्जा स्रोतों पर आधारित होगा, जिससे बड़े पैमाने पर हाइपरस्केल डेटा सेंटर का संचालन संभव हो सकेगा। ओ’लेरी के अनुसार, इतनी विशाल AI इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना को विकसित करना चुनौतीपूर्ण है, लेकिन उपयुक्त भूमि, मजबूत ऊर्जा आपूर्ति और सरकारी समर्थन मिलने पर यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

अल्बर्टा में प्रस्तावित यह AI डेटा सेंटर भविष्य में लगभग 17 गीगावॉट तक की क्षमता संभालने में सक्षम होगा, हालांकि इसका विकास चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा और शुरुआती चरण में करीब 1.4 गीगावॉट क्षमता से शुरुआत होगी। फिलहाल परियोजना के लिए जरूरी परमिट और टर्बाइन हासिल करने की प्रक्रिया चल रही है। यह AI डेटा सेंटर न केवल कनाडा की वैश्विक AI हब के रूप में स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि आने वाले वर्षों में टेक्नोलॉजी सेक्टर, निवेश और रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगा।

बिटकॉइन माइनिंग से जुड़ी कंपनी Bitdeer Technologies Group अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) क्लाउड सेक्टर में बड़े निवेश की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है। कंपनी के मुख्य रणनीति अधिकारी हारिस बासित के मुताबिक, Bitdeer भविष्य में AI डेटा सेंटर नेटवर्क विकसित करने के लिए सैकड़ों मिलियन से लेकर अरबों डॉलर तक का निवेश कर सकती है। बिटमेन से अलग होकर बनी यह कंपनी अब तक बिटकॉइन माइनर्स को क्लाउड-आधारित सेवाएं देने के लिए जानी जाती रही है, लेकिन अब इसका फोकस AI इन्फ्रास्ट्रक्चर पर शिफ्ट हो रहा है। अमेरिका के ओहायो राज्य के क्लैरिंगटन में 570 मेगावाट क्षमता वाला AI डेटा सेंटर कैंपस इसका प्रमुख प्रोजेक्ट है, जिसे 2027 की दूसरी छमाही तक शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है।

Bitdeer की सबसे बड़ी ताकत इसकी खुद की चिप डिजाइन क्षमता और गहरी तकनीकी विशेषज्ञता है, जो इसे अन्य प्रतिस्पर्धियों से अलग बनाती है। AI सेक्टर में यह कंपनी CoreWeave और Nscale जैसी पूर्व क्रिप्टो कंपनियों के साथ तेजी से उभर रही है, जिन्होंने Nvidia और OpenAI जैसी दिग्गज कंपनियों से साझेदारी की है। हालांकि डेटा सेंटर निर्माण में देरी और सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियां सामने आई हैं, फिर भी Bitdeer भविष्य में अधिक सुरक्षित और स्थिर AI इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने पर जोर दे रही है। कंपनी का मानना है कि जहां बिटकॉइन एक अत्यधिक अस्थिर एसेट है, वहीं AI अपेक्षाकृत संतुलित और दीर्घकालिक निवेश अवसर प्रदान करता है, जिससे स्थिर रिटर्न की उम्मीद की जा सकती है।

डेटा सेंटर उद्योग में बढ़ते निवेश और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की तेज़ होती मांग के चलते कंपनियाँ अब बड़े पैमाने की परियोजनाओं पर काम कर रही हैं, जिनमें भारी कर्ज का सहारा लिया जा रहा है। इस बदलते परिदृश्य में कई टेक कंपनियाँ अपने खुद के डेटा सेंटर बनाने के बजाय थर्ड-पार्टी ऑपरेटर्स पर निर्भर हो रही हैं, जिससे उनकी फाइनेंशियल लायबिलिटी लगातार बढ़ती जा रही है।

बिटकॉइन माइनिंग से जुड़ी कंपनी Bitdeer के अलावा कई अन्य टेक फर्म्स भी इसी रणनीति को अपना रही हैं। वहीं, फेसबुक की पैरेंट कंपनी मेटा और माइक्रोसॉफ्ट जैसी दिग्गज कंपनियाँ AI और डेटा सेंटर इंफ्रास्ट्रक्चर पर 60 अरब डॉलर से अधिक का निवेश कर रही हैं, जो इस सेक्टर में बढ़ते भरोसे को दर्शाता है।

माइक्रोसॉफ्ट अमेरिका और यूरोप में एडवांस्ड AI चिप्स को सपोर्ट करने के लिए बड़े स्तर पर डेटा सेंटर लीज पर लेने की योजना बना रही है। दूसरी ओर, रियल एस्टेट इनवेस्टमेंट फर्म्स जैसे Menlo Equities उन बाजारों पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं, जहाँ लंबे समय तक स्थिर और टिकाऊ मांग बनी रहने की संभावना है।

हालांकि, विशेषज्ञ ओवरबिल्डिंग, संभावित AI बबल और सिस्टमेटिक रिस्क जैसी चुनौतियों को लेकर सतर्क रहने की सलाह दे रहे हैं। इसके बावजूद, AI डेटा सेंटर सेक्टर को आने वाले वर्षों में मजबूत ग्रोथ, तकनीकी विकास और नए निवेश अवसरों से भरपूर क्षेत्र माना जा रहा है।

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