Black Warrant Review: तिहाड़ जेल के अनदेखे राज खोलती है ‘ब्लैक वारंट’, दमदार है सुनील गुप्ता की कहानी

कैसा हो अगर आपको दिखाया जाए कि कैसे एक जेल के अंदर बंद हुए कैदी अपना जीवन जीते हैं? एक जेल के जेलर और सिपाहियों को आखिर किन-किन मुसीबतों का सामना करना पड़ता है? आप ये सबकुछ देख सकते हैं नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई नई सीरीज ‘ब्लैक वारंट’ में. कैसी है ये सीरीज, आइए हम आपको बताते हैं.
हम सभी ने अपने जीवन में फिल्मों में जेल देखा है. जिसमें दिखाया जाता है कि एक कैदी को कैसे रखा जाता है और उसके साथ कैसा बर्ताव होता है. खैर फिल्मों में जो दिखाया जाता है, क्या असल जिंदगी में वैसा ही होता है इसका अंदाजा किसी को नहीं. बस जेल में बंद हुए कैदी और वहां मौजूद जेलर और सिपाही ही बता सकते हैं. लेकिन कैसा हो अगर आपको दिखाया जाए कि कैसे एक जेल के अंदर बंद हुए कैदी अपना जीवन जीते हैं? एक जेल के जेलर और सिपाहियों को आखिर किन-किन मुसीबतों का सामना करना पड़ता है? तो आप ये सबकुछ देख और महसूस कर सकते हैं क्योंकि हाल ही में नेटफ्लिक्स पर एक नई सीरीज रिलीज हुई है जिसका नाम है ‘ब्लैक वारंट’. कैसी है ये सीरीज, आइए हम आपको बताते हैं.
क्या है ‘ब्लैक वारंट’ की कहानी?
नेटफ्लिक्स की सीरीज ‘ब्लैक वारंट’ दिल्ली के तिहाड़ जेल में पूर्व जेलर रह चुके सुनील गुप्ता की कहानी है. जिन्होंने वहां अपनी आधी से ज्यादा जिंदगी बतौर जेलर गुजारी है. सीरीज की शुरुआत से ही उनका तिहाड़ जेल में स्ट्रगल दिखाया जाता है. जिसमें बिकिनी किलर चार्ल्स शोभराज (सिद्धांत गुप्ता) उनकी मदद करता रहता है. लेकिन उनकी मुसीबतें कुछ हद तक डीएसपी राजेश तोमर (राहुल भट्ट) बढ़ा देता है. सुनील गुप्ता के दो और साथी भी हैं शिवराज सिंह मंगट (परमवीर सिंह चीमा) और विपिन दहिया (अनुराग ठाकुर). ये तीनों तिहाड़ जेल को संभालते हैं. जेल में तीन गैंग हैं जो जात और धर्म के नाम पर बटे हुए हैं. जिनसे इन सभी को निपटना होता है. इस बीच जेल में कई सारे खतरनाक कैदियों को फांसी भी लगाई जाती है जिसकी जेलर सुनील गुप्ता देख-रेख कर रहे होते हैं. जेलर को तिहाड़ का माहौल संभालने में बड़ी परेशानी आती है क्योंकि वहां भ्रष्टाचार, खूनखराबा और दुर्व्यवहार होता है. अब आखिर कैसे जेलर सुनील गुप्ता तिहाड़ जेल का माहौल सुधारते हैं और उन्हें किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है, ये आप जब सीरीज देखेंगे, तभी आपको पता चलेगा.
अंदर से झकझोरकर रख देगी सीरीज, शानदार है राइटिंग
डायरेक्टर विक्रमादित्य मोटवानी और सत्यांशु सिंह ने ऑडियंस को एक ऐसी कहानी दिखाने का वादा किया है, जिसे देखकर शायद हर कोई अंदर से हिल जाएगा. इसमें दिखाए गए कई सारे सीन्स रियल लाइफ इवेंट्स से इंस्पायर्ड हैं, ऐसे में उन्हें स्क्रीन पर प्रेजेंट करना अपने आप में एक चैलेंज होता है. जिसे दोनों ही फिल्ममेकर्स ने शानदार तरीके से पूरा किया है. सीरीज में कई सारे ऐसे सीन्स हैं जो आपको जेल की अंदर की सच्चाई से रूबरू कराएंगे और आपके दिल में वहां की जिंदगी का एक खौफ पैदा करेंगे. इसमें काफी खून खराबा और मारकाट को भी दिखाया गया है जो दर्शाता है कि फिल्ममेकर ने कोई कसर नहीं छोड़ी है हमें जेल की असल जिंदगी दिखाने में. इसकी राइटिंग भी शानदार है, सभी सीन्स को काफी अच्छे से लिखा गया जिससे ये एंगेजिंग लगती है. इसमें दिखाया गया सस्पेंस भी कई बार काम कर जाता है. सुनील गुप्ता की लिखी गई किताब, जो इसी नाम से रिलीज की गई थी उसमें मौजूद किस्सों को भी अच्छे से स्क्रीन पर दिखाया गया है. सीरीज आपको जेल में काम कर रहे जेलर और सिपाहियों की जिंदगी के बारे में भी दिखाती है कि कैसे वो इतनी खतरनाक जगह पर अपनी जान की परवाह नहीं किए बगैर काम करते रहते हैं.
जहान कपूर की दमदार एक्टिंग
इस सीरीज के बारे में एक बात बहुत ध्यान देने वाली है और वो है इसकी कास्टिंग. कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा एक बार फिर अपना काम परफेक्ट तरीके से करते दिखाई दिए. उन्होंने जिस भी एक्टर को रोल के लिए चुना है, उन सभी ने अपना रोल को बखूबी निभाया है. लेजेंडरी एक्टर शशि कपूर के पोते और सुपरस्टार रणबीर कपूर के कजिन जहान कपूर ने इस पूरी सीरीज में जबरदस्त एक्टिंग की है. वो कहीं भी आपको ऐसा महसूस होने नहीं देते कि वो फीके पड़ रहे हैं या ओवरएक्टिंग कर रहे हैं. एक्टर राहुल भट्ट से जिस चीज की मांग डायरेक्टर ने की थी, उन्होंने वो मांग पूरी की. उन्होंने अपने किरदार को लाइमलाइट से भटकने नहीं दिया और अपनी स्क्रीन प्रेजेंस को शानदार बनाए रखा. जहान के साथ बाकी सपोर्टिंग एक्टर्स परमवीर सिंह चीमा और अनुराग ठाकुर का काम भी दमदार रहा. उन्होंने सीरीज के जरिए अपनी एक्टिंग रेंज दिखाई और तारीफ के हकदार बने. बिकिनी किलर चार्ल्स शोभराज के किरदार में एक्टर सिद्धांत गुप्ता भी चार्मिंग लगे. उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था कि मानो चार्ल्स शोभराज अपने टाइम में ऐसे ही बात किया करता था. उन्होंने अपने किरदार को मानो घोटकर पी लिया था. थोड़ा ही सही, लेकिन सिद्धांत की स्क्रीन प्रेजेंस भी दमदार था.
क्या देखनी चाहिए ‘ब्लैक वारंट’ सीरीज?
अगर आपको जेल के अंदर के जीवन को जानने की उत्सुकता है और क्राइम स्टोरीज देखना पसंद करते हैं तो आपको ये सीरीज पसंद आएगी. इसकी कहानी 1980 के दशक के समय की है जिसमें तिहाड़ जेल में क्या-क्या घटा उसके बारे में दिखाया गया है. सीरीज में रंगा और बिल्ला, मक्बूल जैसे कैदियों की भी कहानी दिखाई गई है जिन्हें तिहाड़ जेल में फांसी लगाई गई थी. उस फांसी की प्रक्रिया के बारे में भी इसमें दिखाया गया है जो आपके रोंगटे खड़े कर देगा. सीरीज का हर एक एपिसोड तिहाड़ के अनदेखे राज खोलते हैं जिसे देखने में आपको मजा आएगा. सीरीज की लंबाई भी कहानी के हिसाब से ठीक है जिसके कारण आप बोर नहीं होंगे. शुरू से लेकर अंत तक, ये सीरीज आपको बांधे रखने का वादा करती है. इसमें कई मजेदार जेल से जुड़े किस्से भी हैं जो आपको सोचने पर मजबूर कर देगी कि पहले हमारी जेलों में ऐसा सब भी हुआ करता था.
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